Thursday, 1 March 2012

मेरा विचार

अवनि और नभ कंहा तू रहता,
करना है तुझको वो करता,
 बिल्कुल भी है, तू  नहीं डरता
.सारे जग की तू सुनता है
.पर तू कुछ  नहीं कहता।
अवनि और नभ कंहा तू रहता.
 जग वाले तुझे जान सके नहीं।
 रिषि मुनि भी पहचान सके नहीं
.जग में कोई देख सका नही
,पर जग है महसूश तो करता.
 अवनि और नभ कंहा तू रहता.
 कौन है तू और क्या है करता
.कंहा है तेरा सुन्दर धाम.
.क्या तो वेस है,रूप तेरा क्या,
 क्या है तेरा सुन्दर नाम.
 कोई कहे बुद्ध , कोई अल्लाह पुकारे.
यीशु कहे कोई राम.
मै हू तुझे बस तू ही  कहता.
अवनि और नभ कंहा तू रहता.

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