अगणित रंग है जीवन के, पर शाश्वत रंग है;सिर्फ एक. पर उसमे जीना है मुश्किल, कोशिश कर हारे अनेक.
यदि मन पर काबू हो पूरा,तो जीना है उसमे साधारण. क्रोध,मोह,मद लोभ हो दब्बू,फिर नहीं विचलन का कोई कारण.
क्रोध हमें अँधा करता है,दुःख का जनक है मोह यंहा. पैदा करता जग में;मद अपयश,लोभ बनाये पापमय जहाँ.
यदि शाश्वत रंग में जीना है,तो इनसे छुटकारा पाना होगा. इसको मत भूलो पलभर भी,अन्यत्र तुम्हे जाना होगा.
यदि मन पर काबू हो पूरा,तो जीना है उसमे साधारण. क्रोध,मोह,मद लोभ हो दब्बू,फिर नहीं विचलन का कोई कारण.
क्रोध हमें अँधा करता है,दुःख का जनक है मोह यंहा. पैदा करता जग में;मद अपयश,लोभ बनाये पापमय जहाँ.
यदि शाश्वत रंग में जीना है,तो इनसे छुटकारा पाना होगा. इसको मत भूलो पलभर भी,अन्यत्र तुम्हे जाना होगा.
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