Monday 27 February 2012

मेरा विचार

 अंग्रेज नहीं जो कर पाए,वो आज हो रहा भारत में.
जन सामान्य हो गया लिप्त,भ्रस्टाचार की महारत में.
पत्र-पत्रिका और खबरे सब ,बस अब तो एक बहाना है.
सबका है उद्देश्य यही बस,कैसे भी माल कमाना है.
नेता, अभिनेता या लेखक कोई भी आदर्श नहीं देता,
वो बस अपनी शौहरत की,कीमत भरपायी कर लेता.
क्या असर पड़ेगा पीढ़ी पर,ये तनिक विचार नहीं करते,
बस मौका भर मिल जाये तो,बदनामी से भी नहीं डरते.
दरअसल नाम भारत में अब,पैसे के बल पर चलता है.
इसीलिए हर शख्स आज, गिरगिट जैसे रंग बदलता है.
सम्मान आज मिलता उसको,जो जितना बड़ा तिकड़मी है.
सिद्धांतो पर चलने वालो को, सब कहते अब हठ धर्मी है.
अनाचार दूर की कौड़ी था, तब  गांवो के इस भारत में,
अब बालाए ही उतर रही,अनाचार  की आज महारत में.
अंग्रेज नहीं जो कर पाए, वो आज हो रहा भारत में.
जन सामान्य हो गया लिप्त,भ्रस्टाचार की महारत में. 

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