स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों ही,बेच दिए आज दलालों को।
खनिज सम्पदा सारी ही दे दी,चुनाव जितवाने वालों को।
सार्वजनिक परिवहन तो है ही,उनके अपने घरवालों का।
निजीकरण की ओट में अब है,सड़को परराज दलालों का।
पहले जमींदार होते थे खेतों के,वो राहोंपर काविज हैआज।
सस्ता अनाज और भीख दे रहे,जिससे न उठे कोई आवाज।
बिजली,पानी और हवा भी अब,है इनके ही लोगो के हाथो में।
समाजवाद अरु गरीबहित तो है,मात्र अब इनके जज्वातो में।
यदि यही हाल रहता है आगे ,तो एक दिन ऐसा भी आएगा।
नव जमीदारों की इच्छा से,ही आम आदमी सांस ले पायेगा।
खनिज सम्पदा सारी ही दे दी,चुनाव जितवाने वालों को।
सार्वजनिक परिवहन तो है ही,उनके अपने घरवालों का।
निजीकरण की ओट में अब है,सड़को परराज दलालों का।
पहले जमींदार होते थे खेतों के,वो राहोंपर काविज हैआज।
सस्ता अनाज और भीख दे रहे,जिससे न उठे कोई आवाज।
बिजली,पानी और हवा भी अब,है इनके ही लोगो के हाथो में।
समाजवाद अरु गरीबहित तो है,मात्र अब इनके जज्वातो में।
यदि यही हाल रहता है आगे ,तो एक दिन ऐसा भी आएगा।
नव जमीदारों की इच्छा से,ही आम आदमी सांस ले पायेगा।
2 comments:
सुंदर
thanks
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